शिक्षा में समय का निवेश एक बेहतर विकल्प है। समाज में बच्चों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता का प्रसार होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में इस पक्ष को लेकर स्थिति बहुत दयनीय है।
समाज का एक बड़ा वर्ग स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह है। जब कुछ समस्या आती है तभी हम स्वास्थ्य का ध्यान रखना शुरू करते हैं। जरूरत इस बात की है कि हम स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
कन्या भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा जैसी कुरीतियाँ को न सिर्फ समाप्त करने की बात होनी चाहिए बल्कि इसको सामाजिक स्वीकृति भी मिलनी चाहिए।
अपनी परम्परा से जुड़े रहते हुए हमें आधुनिक विचारों को आत्मसात करना चाहिए। अभी देखने में यह आ रहा है कि अपनी परंपरा से नाता तोड़कर कुछ लोग अपने को आधुनिक समझते हैं, जो कि गलत है।
आधुनिकता हमारे विचारों से परिलक्षित होती है। जिसका प्रभाव चहुँओर होता है। सिर्फ रहन-सहन में सुधार करने और अच्छे कपड़े पहनने से कोई आधुनिक नहीं बनता। हाँ, यह इसका एक पक्ष हो सकता है।
महिला सशक्तीकरण समय की माँग है। महिलाओं की स्थिति को लेकर समाज में बदलाव आना चाहिए। आधी आबादी को उनका हक़ मिलना चाहिए।
हम शिक्षित तो हो रहे हैं लेकिन समाज में नैतिक शिक्षा का स्तर कम होता जा रहा है। समय की माँग यह है कि समाज में नैतिक शिक्षा का स्तर बढ़ना चाहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
जातिवाद और साम्प्रदायिकता के कारण भी समाज को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एक साथ इनको समाप्त नहीं किया जा सकता लेकिन उत्तरोत्तर कमी लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। यदि आज हम ऐसा करेंगे तो भविष्य में एक न एक दिन यह समस्याएँ भी समाप्त हो जाएँगी।
मानवीय मूल्यों का समाज में अधिक से अधिक प्रसार होना चाहिए। इससे लोग वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील बनेंगे और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करेंगे। एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक होंगे।
धन्यवाद 🙏
30th July, 2019
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