"Our first success – the very first match in the very first month"

"हमारी पहली सफलता – पहले ही महीने का पहला रिश्ता" इस वाक्यांश का अर्थ यह हो सकता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में या किसी कंपनी के लिए, पहली महत्वपूर्ण उपलब्धि या महत्वपूर्ण रिश्ता जो पहले ही महीने में हासिल हुआ है, वह बहुत मायने रखता है और आगे की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण होता है। 

सफल रिश्ते के लिए प्यार, भरोसा और समय तीनों ही महत्वपूर्ण हैं, लेकिन
भरोसा सबसे ज़रूरी है।

प्यार रिश्ते की नींव है, लेकिन यह अकेला काफी नहीं है।

भरोसा एक-दूसरे पर विश्वास करना, एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना और एक-दूसरे की बात सुनना शामिल है। यह एक मजबूत रिश्ते की नींव है।

समय देना भी ज़रूरी है, ताकि आप एक-दूसरे को जान सकें, समझ सकें और रिश्ते को मजबूत कर सकें।

लेकिन, यदि आप एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते हैं, तो प्यार और समय भी रिश्ते को नहीं बचा सकते।

इसलिए, एक सफल रिश्ते के लिए, प्यार, भरोसा और समय तीनों का होना ज़रूरी है, लेकिन
भरोसा सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।

एक सच्चे रिश्ते की पहली प्राथमिकता विश्वास होती है, रिश्ता चाहे जो भी हो, विश्वास से ही टिकी होती है, विश्वास खत्म रिश्ता भी खत्म।

इसलिए हमेशा विश्वास बनाए रखें, कभी ऐसा काम ना करें जिससे आपका विश्वास टूटे और साबित करने के लिए सफाई देना पड़े। अगर ऐसा होता है तो रिश्ते में दरार पड़ जाएगा फिर यह रिश्ता कभी आगे नहीं बढ़ेगा

सम्बन्धों को निभाया जाता है, उनमें आपको केवल देना होता है। जितना आपसे संभव है आप दूसरे को उतना देते हैं और फिर उनसे कुछ वापस पाने की प्रतीक्षा करते हैं। आपकी यह मांग संबंधों को अधिक समय तक टिकने नहीं देती। मांग और आरोप रिश्तों को बिगाड़ देते हैं।

इसलिए आपको उनकी प्रशंसा करना आना चाहिए। उनकी गलतियां निकालकर उनपर आरोप लगाने की बजाय परिस्थिति को सुधारना चाहिए। दूसरे को ऊपर उठाने के लिए आप प्रतिबद्ध रहें–तभी आप किसी के लिए भी लायक बन जाएंगे।

जब आप जानबूझ के दूसरों को चोट नहीं पहुंचाएंगे तो आपको सब अपनाएंगे। यह पहला पॉइंट है। दूसरा पॉइंट है कि आप खुद को बदलने के लिए और अपने को सुधारने के लिए तैयार रहें जिसके लिए आपको अपनी आलोचना सुनने का धैर्य होना चाहिए।

तीसरा पॉइंट है कि दूसरे की दृष्टिकोण को जानिए, उनकी पीड़ा को समझिए। उनके शब्दों या कृत्यों को नज़रअंदाज़ करके उस व्यक्ति को जानिये। आठ-दस घंटे काम करने के बाद जब कोई थका हुआ वापस घर आता है या जब एक व्यापारी शेयर बाज़ार में हुए घाटे से परेशान होकर घर लौटता है तो वह घर में आराम और शान्ति चाहता है।

अपने साथी की परिस्थिति को समझकर उन्हें अपनी भावना, कुंठा या क्रोध आदि को व्यक्त करने की स्वतन्त्रता दीजिए। जैसे एक दाई प्रसूति में मदद करती है वैसे ही ऐसे समय में जीवनसाथी उनकी मदद करें। कोई प्रसव पीड़ा में हो और उनसे कहें कि आप शिशु को बाहर मत आने दो, अंदर ही रहने दो तो वह क्या करेगा?

कितनी देर शिशु को अंदर रख पाएगा– आखिर तो वो बाहर निकलेगा ही। ऐसे ही पति या पत्नी को तनाव से खाली होने का अवसर दीजिए, वो क्यों दुखी या परेशान है – उसको समझने का प्रयास करें तो आपके रिश्ते मधुर होंगे। परन्तु यदि आप यह अपेक्षा रखते हैं कि आपके साथी आपसे कभी कुछ न कहे चौबीस घंटे, सप्ताह के सातों दिन, साल के 365 दिन वह मधुर व्यवहार रखें और आप हमेशा उनके दोष देखें, ताने मारें कि तुम ऐसे हो, तुम वैसे हो तो वह बेचारे क्या करेंगे?

तो उनको लगेगा कि वह बिलकुल अकेले हैं, उनको कोई सहारा नहीं देता। फिर वह जीवन में आगे कैसे बढ़ेंगे, सफल कैसे होगे वह निराश हो जाएंगे। व्यक्ति वो महान है जिसमें दूसरों को स्वीकार, धैर्यपूर्वक सहने, व निभाने की ज़्यादा से ज़्यादा क्षमता हो। यदि यह स्वीकृति केवल दस प्रतिशत है तो आप दुःखी और परेशान रहेंगे।

यदि यह स्वीकृति शून्य प्रतिशत है तो जीवन में आप उन्नति कर ही नहीं पाएंगे – इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपने धैर्य को शून्य से शत प्रतिशत तक बढ़ने दें। एक और बात है कि संबंधों में थोड़ी छूट दे दें। संबंधों की मजबूती बीच के कंटीले राहों को स्वीकार करने की क्षमता में है।

ऐसी परिस्थिति को आप कैसे भली भांति संभालते हैं इसी से आप की कुशलता बढ़ती है। ये सद्गुण उन कंटीले राहों के दौरान ही प्रकट होते हैं। ऐसे समय को अपने धैर्य, समझदारी, विचारशीलता, और स्वीकृति के गुण लाने का अवसर समझें। दूसरे व्यक्ति से बदलने की अपेक्षा रखने की बजाय अपना श्रेष्ठ चरित्र प्रदर्शन करिये।
साभारः आर्ट ऑफ लिविंग
श्री श्री रविशंकर परिचय
मानवीय मूल्यवादी, शांतीदूत और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर, का जन्म 13 मई 1956 को तमिलनाडु के पापानासम में हुआ था। इनके पिता आरएसवी रत्नम ने इनकी आध्यात्मिक रुचि को देखते हुए इन्हें महर्षि महेश योगी के सान्निध्य में भेज दिया।

महर्षि के अनेकों शिष्यों में से रवि उनके सबसे प्रिय थे। 1982 में रवि शंकर दस दिन के मौन में चले गए। कुछ लोगों का मानना है कि इस दौरान वे परम ज्ञाता हो गए और उन्होंने सुदर्शन क्रिया (श्वास लेने की तकनीक) की खोज की।

विस्तार से:

प्यार:- प्यार एक मजबूत भावना है जो दो लोगों को एक-दूसरे के करीब लाती है। यह एक-दूसरे की देखभाल करने, एक-दूसरे का सम्मान करने और एक-दूसरे के लिए वहां रहने की इच्छा है।
भरोसा:- भरोसा एक-दूसरे पर विश्वास करना है, यह जानना कि वे आपके साथ ईमानदार रहेंगे और आपके प्रति वफादार रहेंगे। यह एक-दूसरे की बात सुनने, एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने और एक-दूसरे के साथ खुले और ईमानदार होने के बारे में है।
समय:- समय एक-दूसरे को जानने, समझने और रिश्ते को मजबूत करने के लिए ज़रूरी है। यह एक-दूसरे के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने, एक-दूसरे के साथ मज़े करने और एक-दूसरे के साथ कठिन समय बिताने के बारे में है।
जब आप इन तीनों को एक साथ जोड़ते हैं, तो आपके पास एक मजबूत, स्वस्थ और सफल रिश्ता बनाने का एक बेहतर मौका होता है।

इस वाक्यांश को कई संदर्भों में देखा जा सकता है:
एक व्यक्तिगत उपलब्धि:
कोई व्यक्ति अपनी पहली नौकरी पाने के बाद या कोई नया कौशल सीखने के बाद अपनी पहली जीत के बारे में बात कर सकता है, जिसका अर्थ है कि उसने पहले ही महीने में कुछ महत्वपूर्ण हासिल कर लिया है। 
एक नया व्यवसाय या कंपनी:
जब कोई नया व्यवसाय शुरू होता है, तो पहले महीने में ही किसी बड़ी सफलता या महत्वपूर्ण ग्राहक संबंध का बनना उसे "पहले ही महीने का पहला रिश्ता" कहा जा सकता है, जो कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता होती है। 
एक भावनात्मक या सामाजिक संदर्भ:
जीवन में किसी नए रिश्ते की शुरुआत, जैसे दोस्ती या प्रेम संबंध, का पहला महीना और उससे मिली कोई छोटी या बड़ी खुशी भी इस संदर्भ में एक "सफलता" मानी जा सकती है। 
किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की शुरुआत:
यह वाक्यांश किसी बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ने के पहले कदम को भी इंगित कर सकता है, जहाँ पहले महीने में ही एक प्रारंभिक सफलता मिल जाती है, जो आगे के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती है। 
संक्षेप में, यह वाक्यांश किसी के जीवन या किसी प्रयास में शुरुआती दौर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है, जो आगे की सफलता के लिए प्रेरणा का काम करती है।

  27th August, 2025